बीसीसीआई ने इस सीजन आईपीएल के लिए एक नियम को 6 साल बाद फिर से लागू कर दिया है। इस नियम कि वजह से अब खराब परिस्थिति में भी गेंदबाज अपनी स्विंग और मूवमेंट से बल्लेबाजों को परेशान कर सकते हैं।
गुरुवार को बीसीसीआई ने गेंद को चमकाने के लिए सलाइवा के इस्तेमाल पर लगी रोक को हटा दिया है। यह फैसला BCCI द्वारा आईपीएल के कप्तानों के सहमति से लिया गया। जिसके बाद अब गेंदबाज खेल के दौरान सलाइवा का उपयोग कर सकते हैं।
दरअसल वर्षों से गेंद कि चमक को बनाए रखने के लिए खिलाड़ी सलाइवा का उपयोग करते रहे हैं। लेकिन कोविड 19 के कारण संक्रमण को रोकने के लिए इस पर रोक लगा दी गई थी। जिसके बाद यह नियम यथावत चलती रही है । बाद में संक्रमण कम होने के बाद कई खिलाड़ियों ने इस प्रतिबंध को हटाने कि मांग रखी थी। अंततः बीसीसीआई ने गेंदबाजों कि मांग पर इस पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है ।
गेंद को स्विंग कराने के लिए करते हैं सलाइवा का इस्तेमाल

लेदर कि गेंद पर सलाइवा का इस्तेमाल गेंद को हवा में स्विंग कराने के लिए किया जाता है। दरअसल इस तरीके में गेंद कि एक सतह पर लार लगाकर उसे चिकना बना दिया जाता है। वहीं गेंद का एक हिस्सा जिसमें सलाइवा नहीं लगा हो वह तुलनात्मक रूप से खुरदरा होता है।
जिसकी वजह से गेंद के चिकने सतह पर हवा का प्रवाह आसानी से होने के कारण हवा का दबाव कम होता है । बल्कि खुरदुरे सतह पर हवा का प्रवाह आसानी से न होने कि वजह से हवा का दबाव अधिक होता है। एक तरफ हवा का अधिक दबाव पड़ने के कारण गेंद हवा में ही रास्ते से हट जाती है। जिसे क्रिकेट कि भाषा में स्विंग कहा जाता है।
आमतौर पर तेज गेंदबाज गेंद पुरानी होने के बाद सलाइवा का उपयोग रिवर स्विंग के लिए करते हैं। कुछ स्पिनर्स भी गेंद को स्किड कराने के लिए लार का उपयोग करते हैं , जिससे गेंद बेट्समेन कि तरफ तेजी से आता है।
ICC ने प्रतिबंध नहीं हटाई है ।
कोविड -19 में BCCI कि तरह आईसीसी ने भी गेंद पर थूक लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन अभी तक आईसीसी नियम के अनुसार यह प्रतिबंध यथावत बनी हुई है अर्थात आईपीएल के अलावा अन्य अंतराष्ट्रीय मैच में खिलाड़ी सलाइवा का इस्तेमाल नहीं कर सकते। हालांकि उम्मीद कि जा रही है कि आईसीसी भी इस प्रतिबंध को जल्द ही खत्म कर देगी।
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