चेन्नई को अपनी फिरकी में फँसाने वाले डेब्यूडेन्ट विग्नेश पुथुर कि कहानी है काफी रोचक, जानिए बिना घरेलू क्रिकेट खेले कैसे हुई आईपीएल में एंट्री

इस सीजन चेपक में खेले गए तीसरे IPL मैच में भले ही मुंबई कि टीम CSK से हार गई हो । लेकिन मुंबई इंडियस टीम के युवा बॉलर विग्नेश पुथुर ने अपने प्रदर्शन से सबको प्रभावित किया। इस मैच में डेब्यू कर रहे 23 वर्षीय विग्नेश पुथुर ने सीएसके के तीन महत्वपूर्ण बैट्समैन को अपनी फिरकी के सामने घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया।

दूसरी पारी में इंपेक्ट प्लेयर के रूप में अपना पहला आईपीएल खेल रहे विग्नेश पुथुर ने आते ही सबसे पहले चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान ऋतुराज गायकवाड़ को चलता किया। उसके बाद स्पिनर्स को खेलने में महारत रखने वाले शिवम दुबे को भी अपनी फिरकी के आगे आउट होने के लिए मजबूर कर दिया। अंत में दीपक हुडा को भी सस्ते मे निपटाकर मुंबई को खेल में अंत तक जीवित रखा।

दरअसल विग्नेश पुथुर का डेब्यू जितना रोचक रहा उससे कहीं ज्यादा रोचक उनका जीवन है। उनका संघर्ष और क्रिकेट में एंट्री कि कहानी निश्चित रूप से सैकड़ों लोवर मिडिल क्लास के बच्चों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनेगा।

विग्नेश पुथुर अभी तक घरेलू क्रिकेट नहीं खेले हैं

केरल के मल्लपुरम के रहने वाले पुथुर का अभी तक घरेलू क्रिकेट में पदार्पण नहीं हुआ है। इसके पहले वे केरल लीग का हिस्सा थे जहाँ मुंबई इंडियस कि नजर पड़ी और इस फ्रेंचाईजी ने  प्रतिभा को पहचान कर आईपीएल तक खींच लाया। 

विग्नेश पुथुर अभी तक घरेलू क्रिकेट नहीं खेले हैं

पुथुर ने 13 साल कि उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया। पहले वह तेज गति से बॉलिंग किया  करते थे। मगर स्थानीय कोच के कहने के कारण उन्होंने धीमी गति से बॉलिंग का विकल्प चुना। अपने अपरंपरागत बॉलिंग एक्शन के कारण वे जल्दी हाइलाइट हो गए। बाद में उन्होंने अपने स्किल पर काम किया और जल्दी ही राज्य के लिए अंडर- 14 तथा अंडर- 19 टीम का हिस्सा बन गए।

यहीं से पुथुर के जीवन में क्रिकेट का नया अध्याय शुरू हुआ। जिसके कुछ समय बाद ही वह आईपीएल जैसे लीग का हिस्सा बन गए।

पुथुर के पिताजी हैं, आटो चालक

जो न्यूनतम रिसॉर्सेस के साथ जीवन में कुछ करना चाहते हैं ऐसे लोगों के लिए विग्नेश पुथुर का जीवन प्रेरणादायक है। पुथुर के पिताजी ऑटो चालक हैं और माता गृहणी हैं। घर में वित्तीय हालात उतने सुदृढ़ नहीं रहे हैं जिससे पुथुर को क्रिकेट खेलने के लिए बेहतर फेसिलिटी दिया जा सके।

 इसके बावजूद उन्होंने दृढ़ता के साथ क्रिकेट खेलना जारी रखा। और समय ऐसा आया कि मुंबई इंडियस जैसे फ्रेंचाईजी ने उन्हें 30 लाख रुपये में खरीदकर अपने टीम में शामिल कर लिया।

डेब्यू मैच में जिस तरह से उनका प्रदर्शन रहा है। उम्मीद है कि वे आगे आने वाले मैच में भी खेलेंगे और टीम को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

मैं विकर्तन ठाकुर, बीएससी कंप्यूटर साइंस का छात्र हूँ और पिछले 5 वर्षों से खेल, तकनीक और राजनीति जैसे विविध विषयों पर लेखन कर रहा हूँ। विश्लेषणात्मक नजरिया और विषयों पर गहरा शोध मेरी प्रमुख विशेषता है।

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