शुक्रवार को खेले गए चेन्नई और कोलकाता के मैच में अंपायर के एक निर्णय को लेकर सोशल मीडिया में बहस शुरू हो गई है। चेन्नई और धोनी के फैंस अंपायर के इस निर्णय को गलत बता रहे हैं।
दरअसल इस मैच के पहली पारी के 16 वें ओवर में सुनील नारायण गेंदबाजी कर रहे थे। ओवर कि तीसरी गेंद को धोनी ऑन साइड में पुश करना चाहते थे लेकिन गेंद पैरों में जाकर लगी। इसके बाद KKR टीम द्वारा अपील करने पर अंपायर ने इसे आउट करार दे दिया।
धोनी ने अंपायर के इस फैसले को चुनौती देते हुए DRS कि मांग कि। जहाँ स्निकोमीटर पर छोटा स्पाइक भी नजर आया। इसके बावजूद थर्ड अंपायर ने ऑन फील्ड अंपायर के निर्णय को कायम रखते हुए धोनी को LBW आउट दे दिया।
स्निकोमीटर में स्पाइक के बावजूद क्यों आउट दिया गया।
आईसीसी के नियमानुसार किसी भी बल्लेवाज को LBW आउट देने के लिए पहली शर्त है कि बॉल का सम्पर्क बैट के साथ नहीं हुआ हो। तकनीक के माध्यम से इसको चेक करने ले लिए स्निकोमीटर का उपयोग किया जाता है।

यह तकनीक रियल टाइम में माइक्रो लेवल साउंड को कैप्चर कर बैट का सम्पर्क बॉल के साथ हुआ है अथवा नहीं इसकी पुष्टि करता है। अगर बॉल का सम्पर्क बैट से हुआ रहता है तो यह मॉनिटर पर स्पाइक प्रदर्शित करता है। अगर नहीं हुआ है तो सिर्फ एक स्ट्रेट लाइन दिखती है।
चुंकि इस बॉल पर रिव्यू के दौरान स्निकोमीटर पर एक हल्का स्पाइक दिखता है। जो कि यह बताता है कि बैट का संपर्क बॉल के साथ हुआ है। इसके बावजूद अंपायर इस हल्के स्पाइक को बैट बॉल के सम्पर्क कि पुष्टि के लिए ठोस एविडेंस न मानते हुए आउट करार देता है।
मार्क बाउचर इस फैसले के पीछे अंपायर के निर्णय को सही बताते हुए कहते हैं कि – टीवी अंपायर ने ऐसा निर्णय इसलिए दिया क्योंकि स्निकोमीटर में जो स्पाइक था वह बहुत छोटा था। आमतौर पर बैट बॉल का सम्पर्क होने पर स्पाइक बहुत बड़ा होता है। ग्लब्स के आपस में टकराने, विकेट में अन्य किसी चीज के द्वारा आई आवाज से भी इतना छोटा स्पाइक आने कि संभावना है।
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यही वजह है कि अंपायर ने फिल्ड अंपायर के फैसले को नहीं बदला। क्योंकि फिल्ड अंपायर के फैसले को बदलने के लिए क्लियर एविडेंस का होना जरूरी है। हालांकि अंपायर अनिल चौधरी के अनुसार यह नॉट आउट था। लेकिन वीरेंद्र साहवाग, आकाश चोपड़ा, अम्बाती रायडू ने इसे सही फैसला बताया है।